हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा संचालित आई. ओ. ई. परियोजना ‘प्रिंट प्रतिरोध के लिए और प्रतिबंध नियंत्रण के लिए (औपनिवेशिक उत्तर भारत में प्रतिबंधित हिंदी-उर्दू  लेखन का सांस्कृतिक इतिहास, 1850-1947)’ द्वारा सी. एस. डी. एस., दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में 23 नवम्बर, 2023 से 26 नवम्बर, 2023 तक  पोस्टर प्रदर्शनी एवं विचार गोष्ठियों का आयोजन किया गया। ‘औपनिवेशिक प्रतिबंधन और राष्ट्रीय प्रतिरोध’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता सी. एस. डी. एस. दिल्ली के प्रो.राकेश पांडेय ने की । इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय अभिलेखागार के श्री राजमणि, दिल्ली विश्वविद्यालय  के उर्दू विभाग की प्रो.अर्जूमंद आरा, दयाल सिंह कॉलेज के इतिहास विभाग से डॉ. निशांत कुमार और परियोजना के प्रमुख अन्वेषक एवं हिंदी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो. गजेन्द्र पाठक ने अपने सारगर्भित व्याख्यानों में भारतीय इतिहास के विस्मृत नायकों को याद किया एवं इस क्षेत्र में शोध के लिए नई पीढ़ी से आह्वान किया । इस संगोष्ठी में परियोजना के सह अन्वेषक एवं इतिहास विभाग सी. एस. डी. एस. दिल्ली के डॉ. रविकान्त ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए ‘समन्वय’की आयोजन समिति,हैदराबाद विश्वविद्यालय   एवं ब्रिटिश लाइब्रेरी, लंदन के प्रति आभार व्यक्त किया ।

पोस्टर प्रदर्शनी के समानांतर राष्ट्रीय कार्यशाला के अंतर्गत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रो. पुष्पेश पंत, एन. सी. ई. आर. टी., नई दिल्ली से प्रो. चंद्रा सदायत, सी. एस. डी. एस. दिल्ली के निदेशक प्रो.अवधेन्द्र शरण, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो.शिव प्रकाश शुक्ल, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो. सुनील तिवारी, कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. राम आह्लाद चौधरी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ  सिंगापूर के साउथ एशियन स्टडीज प्रोग्राम के प्रो. ज्ञानेश कुदैशिया, प्रख्यात फिल्म समीक्षक श्री अजय ब्रह्मात्मज, सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ. अजय सोडानी,राजकमल प्रकाशन के प्रबंध संपादक श्री सत्यानंद निरूपम, हिंदी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्टोरल फेलो डॉ.वर्षा कुमारी , आई. ओ. ई.  प्रोजेक्ट के फेलो डॉ. आशुतोष पाण्डेय, सी. एस. डी. एस.  दिल्ली के इतिहास विभाग के शोधार्थी मोहम्मद नौशाद, निशांत पाण्डेय और  जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,नयी  दिल्ली के विकास शुक्ल ने भाग लिया और अपने वक्तव्यों एवं  प्रस्तुतियों के माध्यम से औपनिवेशिक काल में प्रतिबंधित हिन्दी -उर्दू सहित समस्त भारतीय साहित्य के अनेक पक्षों पर प्रकाश डाला . इस कार्यशाला ने औपनिवेशिक काल के इस प्रतिबंधित लेखन को  न सिर्फ साहित्यिक इतिहास के पुनर्लेखन  के लिए आवश्यक माना बल्कि उसे भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास के समग्र लोकवृत्त के लिए अत्यंत उपयोगी दस्तावेज़ बताया। इस कार्यशाला में वीर सावरकर,श्यामजी कृष्ण वर्मा,महर्षि अरविंद,भूपेन्द्र नाथ दत्त, लाला लाजपत राय,सखाराम गणेश देउस्कर,महात्मा गांधी,भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद,भवानी दयाल संयासी ,मदनमोहन मालवीय ,पंडित सुन्दरलाल ,देवनारायण द्विवेदी  सहित अनेक विभूतियों की प्रतिबंधित रचनाओं का पाठ भी किया गया।  साथ ही, अब तक अप्राप्य अनेक प्रतिबंधित लोकगीतों, नाटकों, पोस्टरों,कार्टूनों,चित्रों को  पी. पी. टी. द्वारा आगंतुक अतिथियों के सामने प्रस्तुत किया गया।

इस पोस्टर प्रदर्शनी में सुपरिचित संस्कृति-कर्मी एवं तक्षशिला फ़ाउंडेशन के श्री संजीव कुमार, सुपरिचित मीडियाकर्मी रवीश कुमार, राजकमल प्रकाशन के श्री अशोक माहेश्वरी, नयी किताब के श्री अतुल माहेश्वरी, इंडिया हैबिटेट सेंटर के निर्देशक श्री सुमित टंडन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रो.आशीष त्रिपाठी,असम विश्वविद्यालय से प्रो.कृष्ण मोहन झा,  दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ.शत्रुघ्न  मिश्र, डॉ. विनीत कुमार, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से डॉ. मनीष कुमार एवं डॉ.वरुण कुमार, ओ. एन. जी. सी. से डॉ.जय पाण्डेय, मुंगेर विश्वविद्यालय, बिहार से डॉ.राजीव राही,  दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग से श्री विनीत कुमार पाण्डेय,श्री पंकज सिंह,श्री आलोक मिश्र, हिंदी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय से शोधार्थी श्री तुलसीराम एवं श्री आशुतोष कुमार  सहित अनेक संस्कृतिकर्मियों , मीडियाकर्मियों, शोधार्थियों   एवं विद्यार्थियों  की गरिमामयी उपस्थिति ने  आयोजन को सार्थकता प्रदान की ।

कार्यक्रम के अंतिम दिन 26 नवम्बर, 2023 को प्रो. पुष्पेश पंत  द्वारा परियोजना के वेबसाइट का लोकार्पण किया गया ।