हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के अंग्रेजी विभाग ने 3-4 अप्रैल, 2014 को मानविकी संकाय के सभागार में प्रो. एम. श्रीधर के सम्मान में ‘Can Dalit Literature be a Core/Compulsory Course in Literature Departments?’ (साहित्य अध्ययन विभागों के पाठ्यक्रम में दलित साहित्य को क्या एक अनिवार्य विषय के रूप में रखा जा सकता है?) नामक  विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया.

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Prof. M. Sridhar

3 अप्रैल, 2014 को आयोजित उद्‌घाटन समारोह में हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के समकुलपति प्रो. ई. हरि बाबू,  है.वि. मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. अमिताभ दास गुप्ता, अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ. डी. मुरली मनोहर, अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्‌यालय के संकायाध्यक्ष प्रो. टी. नागेश्वर राव तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में अंग्रेजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर प्रो. एम. श्रीधर आदि उपस्थित थे.

इस संदर्भ में प्रो टी. नागेश्वर राव ने सरल एवं सुबोध ढंग से अपना बीज व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए उपस्थितों को समझाया कि किस प्रकार से हम दलित साहित्य को पाठ्यक्रमों में अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ सकते हैं. आगे उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने से पहले इस विषय पर सभी संस्थानों तथा विश्वविद्‌यालय में अधिक से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन करना परमावश्यक है.

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Prof. E. Haribabu

उद्‌घाटन सत्र उपरांत बनारस हिंदू विश्वविद्‌यालय के पंचानन दलाई, सीसीएल से के. भीमय्या, महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशका सुनीता रानी, अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ. डी. मुरली मनोहर, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्‌यालय के सहायक प्रोफेसर डोड्डा  शेषु बाबू, अवंती इंजीनियरिंग एवं प्रौद्‌योगिकी संस्थान से एम. सुब्बा राजू आदि ने संबंधित विषय पर अपने-अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए.