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हैदराबाद विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय में मानसून सत्र (नवंबर से जुलाई, 2013) के लिए चेयर प्रोफेसर शिप के पद पर प्रो. शेरिन एफ रत्नागर नियुक्त । वे अपने इस प्रवास के द्वौरान इतिहास विभाग के एम.ए. कोर पाठ्यक्रम (प्राचीन सोसायटी) के छात्रों को पढ़ाएँगी । विभिन्न विषयों से जुडे शोधार्थियों के लिए पाक्षिक संगोष्ठियों का संचालन करेंगी । एकीकृत पाठ्यक्रम के छात्रों के शंकाओं के समाधान के लिए विचार-विमर्श भी करते रहेंगी ।

पुरातत्व क्षेत्र में आंरभिक रूचि के कारण उन्होंने डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट अंड रिसर्च इंस्टीट¶ूट, पूुना विश्वविद्यालय से पुरातत्व में एम.ए. तथा पुरातत्व संस्थान, लंदन विश्वविद्यालय से उच्चतम शिक्षा प्राप्त की । उन्होंने भारत, इंग्लैंड़, तुर्की, इराक और ओमान में पुरातत्व विभाग की खुदाइयों में भाग लिया । उनका अपना शोध सिंधु सभ्यता के शहरी रूपों, जल प्रबंधनों, बाढ़ आदि पर केन्द्रित था । पूर्वी गुजरात के आदिवासी लोगों के साथ बिताए अपने अनुभवों के बारे में उन्होंने पुस्तकें लिखीं और कई कार्यशालाओं में भी भाग लिया ।

अपने कैरियर के दौरान उन्होंने प्राचीन भारत के विवेचन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।  उनके कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशन निम्न प्रकार हैं  —

1. The Westerly Trade of the Harappa civilization (हडप्पा सभ्यता का पश्चिमी व्यापार) दिल्ली, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस 1981
2. Understanding Harappa : An Introduction to Civilization in the Greater Indus Valley. (हड़प्पा समझौता : ग्रेटर सिंधु घाटी सभ्यता : एक परिचय, दिल्ली तूलिका 2001
3. The Other Indians :  अन्य भारतीय तीन निबंध, दिल्ली 2004
4. Being Tribal :  आदिवासी होने के नाते दिल्ली प्राइमस : 2010

फिलहाल वें भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली तथा नेशनल बुक ट्रस्ट नई दिल्ली की सदस्या हैं । उनसे sfrssg@uohyd.ernet.in or 23133152(O)/ 2313 1153 (R) पर संपर्क कर सकते हैं ।