आईसीएसएसआर के सहयोग से हैदराबाद विश्वविद्यालय, सामाजिक विज्ञान संकाय के राजनीति विज्ञान विभाग ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (Education and Politics in India: a Perspective from Below) का उद्घाटन सत्र सी.वी. रमन ऑडिटोरियम में 24 फरवरी, 2017 को आयोजित किया. इस सत्र की अध्यक्षता हैदराबाद विश्वविद्यालय, सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. पी. वेंकट राव ने की. इस अवसर पर प्रमुख सामाजिक वैज्ञानिक एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय, राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. वसंती श्रीनिवासन ने स्वागत भाषण देते हुए छात्रों को हमेशा शिक्षकों से आगे निकलने का आह्वान किया.
उत्पीड़ित एवं वंचित लोगों के उत्थान के लिए दिन-रात कार्यरत एवं जनजातीय अध्ययन विशेषज्ञ तथा प्रमुख सामाजिक सुधारक डॉ. रामदास रूपावत इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समन्वयक थे, जिन्होंने उद्घाटन सत्र के दौरान संगोष्ठी के विषय क्षेत्र पर प्रकाश डाला साथ में उन्होंने यह भी बताया कि, इस दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत किए गए चयनित लेखों को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस और रूटलेज में प्रकाशित भी किया जाएगा. इस सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में जनजातीय सांस्कृतिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व निदेशक डॉ. वी.एन.वी.के. शास्त्री ने भाग लिया. इस अवसर पर बाल अधिकार संरक्षण राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष एवं राजनीति विज्ञान विभाग की पूर्व अध्यक्ष (पद्मश्री) प्रो. शांता सिन्हा ने बीज व्याख्यान प्रस्तुत किया.
इस उद्घाटन सत्र के अंत में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. तपन कुमार बिहारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.
संगोष्ठी के समन्वयक ने इस अवसर पर कहा कि, इस संगोष्ठी के लिए 100 से अधिक सारणियों को प्राप्त किया गया था. संगठित समिति को सबसे प्रतिभाशाली तत्वों का चयन करने के लिए काफी कठिनाइयों का अनुभव करना पड़ा था, जिसमें अनुसंधान विषयों की संभावना तथा मजबूत सार तत्व और उप-विषयों को ध्यान में रखते हुए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देशभर से कुल 60 प्रतिभागियों को चुना गया.
इस संगोष्ठी की कार्यवाही तीन अलग-अलग जगहों पर अर्थात् सी.वी. रमन ऑडिटोरियम, सेमिनार हॉल और राजनीति विज्ञान विभाग के नए सम्मेलन कक्ष आदि जगहों पर आयोजित की गई. सुबह 9 बजे से शाम के 5:30 बजे तक दो समानांतर सत्र लगातार आयोजित किए गए. इन सत्रों के अध्यक्ष एवं सह-अध्यक्ष के रूप में समाज वैज्ञानिक तथा विषय क्षेत्र के विशेषज्ञ थे. इस संगोष्ठी में उद्घाटन, पैनल चर्चा और समापन सत्र आदि को छोड़कर कुल तेरह समानांतर सत्र शामिल थे. सभी सत्र चर्चा, विचार-विमर्श, बातचीत और स्पष्टीकरण के लिए खुले थे.
यह संगोष्ठी मूलतः जनजातीय समुदायों से संबंधित मुद्दे, आदिवासियों की शिक्षा और राजनीति, नई शिक्षा नीति और उनका सामाजिक-आर्थिक उत्थान आदि विशेष विषयों पर केंद्रित थी. शिक्षा न केवल एक विशेष समुदाय के विकास की रीढ़ है, बल्कि यह समाज में होने वाले विकास का संबल है, एक ऐसा उपकरण है, जिसके माध्यम से हम समाज में व्याप्त सभी सामाजिक बुराइयों और विरोधाभासों को हटा सकते हैं.