हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के अंग्रेज़ी विभाग ने 7 अप्रैल, 2014 को शेक्सपीयर के 450वें जन्मदिवस पर एक परिसंवाद का आयोजन किया. यह आयोजन विभाग के पूर्व अध्यक्ष और शेक्सपीयर के विशिष्ट विद्‌वान प्रो. एस. नागराजन की स्मृति में किया गया था.

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Dr. K Narayana Chandran

इस परिसंवाद का उद्‌देश्य विद्‌वानों को एक मंच पर लाकर शेक्सपीयर की निरंतर प्रासंगिकता के विविध कारणों की समीक्षा करना था.

डॉ. के. नारायण चंद्रन, विश्वविद्‌यालय के अंग्रेज़ी शिक्षक ने शेक्सपीयर को एक ‘स्याह सुखनवर’ के रूप में समझने के 13 तरीकों पर बात की. भारत में शेक्सपीयर के अनुवाद की भी चर्चा आपने की. डॉ. टी. श्रीरामन (पूर्व ई.एफ.एल.यू) ने जूलियस सीज़र को समसामयिक राजनीतिक संदर्भ में देखा. डॉ. सॅम्सन थॉमस (ई.एफ.एल.यू) ने Nietzschean के त्रासदी सिद्‌धांत के परिप्रेक्ष्य में शेक्सपीयर की प्रमुख त्रासदियों की चर्चा की. डॉ. तुतुन मुखर्जी (है.वि.वि.) ने यह समझने का प्रयास किया कि विश्व में इस नाटककार की कितनी अलग-अलग व्याख्याएँ की जाती हैं. डॉ. प्रमोद के. नायर ने ‘शेक्सपीयर कंज़्यूमरिज़म’ की दुनिया में शेक्सपीयर को एक ब्रांड के रूप में देखा.

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डॉ. एना कुरियन, अंग्रेज़ी विभाग परिसंवाद की समन्वयक थीं.