हाल ही में हैदराबाद के रवींद्र भारती सभागार में आयोजित एक सम्मेलन में तेलंगाना सरकार के सलाहकार डॉ. के.वी. रमणाचारी तथा भाषा और संस्कृति विभाग के निदेशक श्री. मामिड़ी हरि कृष्णा ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता चुक्का सत्तय्या की उपस्थिति में हैदराबाद विश्वविद्यालय सरोजिनी नायडू कला और संचार संकाय, थिएटर आर्ट्स विभाग के संकाय सदस्य डॉ. एन.जे. भिक्षु द्वारा रचित ‘सेमिऑटिक्स ऑफ़ ओग्गू कथा’ नामक पुस्तक का विमोचन किया. इस अवसर पर श्री. ओग्गू रवि और उनके साथियों द्वारा ओग्गू कथा का प्रदर्शन दिया गया.

OK

डॉ. भिक्षु ने ओग्गू कथाओं पर अपना डॉक्टरेट किया था. तेलंगाना लोक कथा शैली ‘ओग्गू कथा’ को नाट्य अध्ययन के रूप में अध्ययन करने का ऐसा प्रयास पहली बार किया गया. तेलंगाना राज्य के देहाती समुदाय की यह शैली शैक्षिक और थिएटर प्रदर्शन जैसे क्षेत्रों में विशेष अध्ययन के लिए ध्यान आकर्षित करती है. कलाकार और दर्शक केंद्रित यह शैली अपने आनुष्ठानिक संदर्भ में समुदाय के लोगों की एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति बन जाती है. यह पुस्तक ओग्गू कथा शैली को रंगमंच में परिवर्तित करने, कलाकार – दर्शकों के संदर्भ आदि को विस्तृत विवरण की प्रगति के साथ समुदाय के लिए एक समग्र सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है.

IMG_0725

From right- N J Bhikshu, Dainajna Sarma, Chukka Sattaiah, K V Ramanachari, Advisor, Govt of Telangana, Mamidi Hari Krishna- Director, Department of Language and Culture, M N Sarma, A S Mahadevan, Aruna Bhikshu

डॉ. एन.जे. भिक्षु को रंगमंच के क्षेत्र में साढ़े तीन दशकों का विस्तृत अनुभव है. एक शौकिया अभिनेता के रूप में आरंभ हुआ डॉ. भिक्षु का रंगमंचीय जीवन उनकी अविरल जिज्ञासा के कारण उन्हें एक पेशेवर अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक, संगीतकार, सेट डिजाइनर और एक शिक्षाविद् बनने की दिशा में ले गया. आपने हैदराबाद विश्वविद्यालय से थिएटर आर्ट्स में मास्टर एवं डॉक्टरेट की उपाधि पाई तदुपरांत हैदराबाद विश्वविद्यालय में ही आपने 1991 से संकाय के रूप में अपना अध्यापन कार्य आरंभ किया फिलहाल आप हैदराबाद विश्वविद्यालय सरोजिनी नायडू कला और संचार संकाय, थिएटर आर्ट्स विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. तेलुगु रंगमंच, निर्देशन और मीडिया जैसे क्षेत्रों में आपके द्वारा किए गए विशेष योगदान के लिए आपको विभिन्न अवसरों पर तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार, अन्य गैर सरकारी संगठनों और साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है. ओका वोरलो नालुगु निजालू (अकीरा कुरोसावा की फिल्म ‘रोशोमोन’ का एक तेलुगु मंच रूपांतर), देवुड़िनी चूसिना वाडू (तिलक की एक लघु कहानी का मंच रूपांतर), अमरावती कथलू, सत्यम शंकर मंची की लघु कथाओं ने रंगमंच के क्षेत्र में आपकी पहचान में चार चाँद लगा दिए. इसके अलावा आपने धरमवीर भारती के अंधा युग का तेलुगु रूपांतर (पद्मश्री प्रो. राम गोपाल बजाज द्वारा निर्देशित), भयम तेलुगु नाटक (प्रो. एस. रामानुजम द्वारा निर्देशित), कागितम् पुली (प्रो. एम.एन. शर्मा द्वारा निर्देशित), बकासुरा, गुणनिधि, कोदंडपाणि (प्रो. डी.एस.एन. मूर्ति द्वारा निर्देशित) आदि के ज़रिए कई प्रसिद्ध हस्तियों के लिए थिएटर संगीतकार के रूप में भी कार्य किया.