हैदराबाद विश्वविद्यालय, जीव विज्ञान संकाय ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर 28 फरवरी, 2017 को डॉ. पी. बाबू नैदानिक मनोविज्ञान विभाग, स्वीकार उपकार, सिकंदराबाद द्वारा ‘विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ नामक विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया.
इस अवसर पर हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरू के निदेशक प्रो. गोवर्धन मेहता ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के संकाय द्वारा किए जा रहे गुणात्मक अनुसंधानों की वजह से हैदराबाद विश्वविद्यालय भविष्य में भारतीय तिरंगे को विज्ञान के क्षेत्र में चरम स्थान तक पहुँचाएगा. इस संदर्भ में उन्होंने अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे दोनों समन्वय स्थापित कर एक साथ मिलकर काम करेंगे तो भविष्य की पीढ़ियों को काफी मदद मिलेगी. सर सी.वी. रमन द्वारा भौतिकी के क्षेत्र में किए गए वैज्ञानिक योगदान और आविष्कार आज भी विज्ञान के क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं. आगे प्रो. मेहता ने कहा कि आज तक किसी ने भी विज्ञान को सही ढंग से परिभाषित नहीं किया लेकिन विज्ञान और उसकी विधियाँ, आविष्कार हमारे लिए जीवन भर सहायक सिद्ध होते हैं.
दर्शकों से भरे सभागार को संबोधित करते हुए डॉ. पी. बाबू ने कहा कि रमन प्रभाव की खोज के लिए भारतीय भौतिक विज्ञानी सर सी.वी. रमन को वर्ष 1930 के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रमन प्रभाव की खोज को चिह्नित करने के उद्देश्य से हमारे देश ने इस दिवस को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में माना. इस अवसर पर उन्होंने दृष्टि विकलांगता, बोधात्मकता और मानसिक अस्वस्थता आदि के बारे में विस्तार से बात करते हुए कहा कि, अधिनियम 2016 (दिसंबर 27, 2016 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित) के माध्यम से भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों में 7 से 21 की वृद्धि की है, जिसमें और अधिक अधिकारों को जोड़ने की आवश्यकता है. विकलांग लोगों को अनेक प्रकार की बाधाओं को झेलना पड़ता है. कई सालों के लिए उन्हें दूसरों पर भी निर्भर होना पड़ता है.लेकिन अब सहायक तकनीक की मदद से वे अपनी गतिविधियों एवं भावनाओं को स्वयं अभिव्यक्त कर पा रहे हैं.