हिन्दी भाषा के विकास क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएँ प्रदान करने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय, गच्चीबावली हैदराबाद के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आर. एस. सर्राजु को वर्ष 2014-15 के लिए बिहार राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त डॉ. ग्रियर्सन पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। इस पुरस्कार के अंतर्गत प्रो. सर्राजु को प्रशस्ति-पत्र के साथ पचास हजार रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी। बिहार राज्य सरकार हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करने वाले पंद्रह साहित्यकारों, आलोचकों एवं भाषाविदों को हर वर्ष ये पुरस्कार प्रदान करती है। इस वर्ष यह पुरस्कार ग्रहण करने विद्वानों में बिहार संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध कवि आलेक धन्वा, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. तुलसीराम, गया विश्वविद्यालय के प्रो. राम निरंजन भी शामिल हैं।
प्रो. सर्राजु ने राजभाषा हिन्दी के विकास एवं क्रियान्वयन के क्षेत्र में विशेष सेवाएँ दी हैं। उन्हें 1989 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिन्दी भाषा और साहित्य सेवा पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. सर्राजु की पुस्तकें, ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी – स्थिति-संदर्भ और प्रयुक्ति विश्लेषण’ और ‘आज की हिन्दी – अनुवाद की समस्याएँ’ ने विशेष ख्याति अर्जित की है। इन पुस्तकों को कई विश्वविद्यालयों में पाठ्य पुस्तकों, संदर्भ पुस्तकों के रूप में शामिल किया गया है। प्रो. सर्राजु की अन्य पुस्तकें ‘भारतीय उपन्यास साहित्य की भूमिका’ (1988), ‘आधुनिक बोध और तेलुगु काव्यधारा के संदर्भ’ (1889), ‘लोकसाहित्य’ (1992) भी काफ़ी लोकप्रिय रही हैं। इसके अतिरिक्त प्रो. सर्राजु ने तेलुगु से हिन्दी और हिन्दी से तेलुगु में कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया है।
प्रो. सर्राजु ने वर्ष 2005 से 2008 तक रूस के मास्को दूतावास में कार्य करते हुए मास्को मानविकी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन भी किया है। अब तक प्रो. सर्राजु की 8 पुस्तकें एवं 60 से अधिक शोध-आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय शैक्षिक कोर्ट परिषद् के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया गया है।