हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र डॉ. श्रीनिवास रेड्डी को सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है. आपको प्राकृतिक उत्पादों के संश्लेषण/औषधीय रसायन विज्ञान/औषध-अन्वेषण में 20 से अधिक वर्षों का अनुसंधान अनुभव है. डॉ. रेड्डी को मानव कल्याण के लिए उनके अनुप्रयोग उन्मुख कार्बनिक संश्लेषण के लिए जाना जाता है. वे औषधीय रसायन विज्ञान में ‘सिलिकॉन-स्विच दृष्टिकोण’ के अनुप्रयोग के लिए भी ख्यातिप्राप्त हैं. साथ ही, उनके समूह द्वारा फसल सुरक्षा पर किया गया कार्य भी उल्लेखनीय है. उनके नाम 120 प्रकाशन हैं और 35 पेटेंट में एक आविष्कारक के रूप में आपने कीर्तिमान स्थापित किया है.
वर्ष 2000 में डॉ. रेड्डी ने प्रो. गोवर्धन मेहता, रसायन विज्ञान संकाय, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुशल निर्देशन में संश्लिष्ट कार्बनिक रसायन में पीएच.डी. शोध पूर्ण किया तथा इससे पूर्व उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से बी.एससी. और एम.एससी. की उपाधि प्राप्त की.
वर्ष 2013 में डॉ. रेड्डी को केंद्रीय औषध अनुसंधान संस्थान ने औषध अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्रदान किया और इसी वर्ष नेशनल केमिकल लेबोरेटरी ने साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया. उन्हें वर्ष 2015 में भी तीन पुरस्कार प्रदान किए गए – एन.ए.एस.आई. – रिलायंस उद्योग प्लेटिनम जुबली अवार्ड, केमिकल रिसर्च सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का कांस्य पदक तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा सर्वोच्च भारतीय विज्ञान पुरस्कार – शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार.
2001 से 2003 तक डॉ. रेड्डी ने शिकागो विश्वविद्यालय में सर्गेई ए. कोज़मिन और कैनसस विश्वविद्यालय में जेफरी औबे की प्रयोगशालाओं में पोस्ट-डॉक्टरेट शोध-कार्य पूरा किया. उन्होंने 2003 में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज में प्रधान वैज्ञानिक के रूप में अपना करियर शुरू किया और 2006 में एक शोध अन्वेषक बन गए तथा एक साल बाद आपने एडविनस थेरेप्यूटिक्स में डिस्कवरी केमिस्ट्री रिसर्च विंग के ग्रुप लीडर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया. वर्ष 2010 में उन्होंने अनुभाग प्रधान के रूप में पदोन्नति के तुरंत बाद राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला में कार्य ग्रहण किया. आपने सीएसआईआर – केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ के निदेशक के रूप में अतिरिक्त प्रभार के साथ सीएसआईआर – भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (आईआईआईएम), जम्मू के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है.