आज के समाज में दया, करूणा, सहानुभूति आदि गुण दुर्लभ हो गए हैं । रिश्तो में व्यवहारिकता आ गई है, और हर जगह अत्याचार बढ़ रहें हैं । ऐसे माहौल में हर एक व्यक्ति को दूसरों के प्रति दया व करूणा दर्शाना परमावश्यक है । जो हमारा ध्यान रखते हैं, हमें उनका ध्यान रखना चाहिए । इसके लिए शुरूआत हमें सबसे पहले अपने घर से ही करनी चाहिए ।
इस कार्य को साकार करने में हमारे हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र निस्वार्थभाव से लगे हैं । वे रक्तदान शिविरों का आयोजन कर रहें हैं, गरीब और पिछड़े वर्गो की मदद में लगे हैं । राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कर्तव्य नामक गौर लाभकारी स्वौच्छिक समूह अक्षरा नामक परियोजना के द्वारा विश्वविद्यालय के निकट के पिछड़ें गाँव जाकर वहाँ के बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा व सुविधाएँ उपलब्ध कराने में जुट गए हैं । इस परियोजना का दूसरा चरण सक्रिया रूप से कार्य कर रहा है ।
हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए अनगिनत अदृश्य व्यक्ति सहायक हैं, लेकिन व्यवहार में हम उन सब की मदद नहीं कर पाते । पर हजारों मीलों का सफ़र भी पहले कदम से शुरू होता है, कहावत अनुसार हम हमारे आस-पास रहकर, हमारे रोज़मर्रा के जीवन से जुड़े घरेलू नौकर, कार्यालय में हमारे साथ काम करने वाले अनपढ़ कर्मचारी, ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड, बेबी सीटर्स जौसे अनेक व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने के लिए हम थोड़ी-बहुत सहायता कर सकते हैं । जौसे बैंक खाता खोलने में, उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने में, चिकित्सा-बीमा करवाने में हम उनकी मदद कर सकते हैं, जो हमारे लिए बड़ी या कष्ट की बात नहीं है ।
आर्थिक रूप से किसी की मदद करके हमें खुश नहीं होना चाहिए, बल्कि दूसरों के प्रति हमारे व्यवाहर में दया-करूणा, सहानुभूति आदि गुणों को अपनाना चाहिए । जिसे देखकर हमारे बच्चों में भी मानवीयता के गुणों का विकास होगा । ऐसा होने से एक ऐसा आदर्श समाज उपजेगा : जो सुरक्षित और मानवीय गुणों से युक्त होगा ।
घर से ही बदलाव आरंभ हो, 28 जून को अनुकंपा (करूणा) दिवस में शामिल होइएगा ।
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