यूपीई-2 विशिष्ट व्याख्यान शृंखला के अधीन हैदराबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र संकाय ने 21 अप्रैल, 2017 को भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर एवं 14वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वाई.वी. रेड्डी का विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया. डॉ. रेड्डी ने है.वि.वि. के सर सी.वी. रामन सभागार में ‘Indian Economy: New Challenges and Opportunities’ विषय पर एक अत्यंत लाभप्रद व्याख्यान प्रस्तुत किया.
वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रासंगिक महत्वपूर्ण परिवर्तनों, यथा – विमुद्रीकरण, मौद्रिक नीति का नया ढाँचा, मुद्रास्फीति नियोजन, वित्तीय संघवाद और बाहरी क्षेत्रों के बदलाव आदि पर इस व्याख्यान में ज़ोर दिया गया. नोटबंदी अर्थात् विमुद्रीकरण को सरकार द्वारा उठाया गया अभूतपूर्व कदम करार देते हुए डॉ. रेड्डी ने कहा कि सख्त सज़ा लागू करने से बाज़ार में काले धन का आना कम नहीं हो जाएगा. आपने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में कठोर कानूनों का ही सर्वाधिक उल्लंघन होता है. कोई भी सार्वजनिक नीति तभी सफल होती है जब शासन प्रभावी होता है. इस मुद्दे पर और अधिक बहस होनी चाहिए. दण्ड काले धन का कोई विश्लेषणात्मक समाधान नहीं प्रस्तुत करता. यह केवल सर्वसामान्य जनता के लिए आकर्षक सिद्ध होता है. डॉ. रेड्डी ने यह भी कहा कि बाज़ार एवं सरकार के सहसंबंध और उनकी परिवर्तनशीलता पर भी विचार किया जाना चाहिए.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन के लिए बहुत बड़े प्रशासनिक, तकनीकी एवं तार्किक आधार की आवश्यकता होगी जिससे कुछ समय के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है.
राज्यों के असमान आर्थिक विकास पर टिप्पणी करते हुए डॉ. रेड्डी ने कहा कि जब कोई अच्छी बात होती है, तो विकसित राज्य तेज़ी से आगे बढ़ते हैं. अत: सरकार द्वारा इस अंतर को भरने को की गई कोशिश से सुधार की संभावना कम हो जाती है. यदि केन्द्र और राज्य जीएसटी के मुद्दे पर समान संभावनाओं के लिए काम करें तो कर की दर 28% से 40% हो सकती है.
वक्ता ने नियम के विरुद्ध पूंजी के भूमंडलीकरण पर बात की और भारतीय अर्थव्यवस्था की अनर्जक संपत्तियों (एनपीए) के संकट का निर्माण करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की आलोचना की. उत्साहित दर्शकों ने कुछ सवाल पूछे जिनका उचित उत्तर वक्ता ने दिया. हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गोवर्धन मेहता ने इस व्याख्यान की अध्यक्षता की.
प्रो. बी. कामय्या, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र संकाय ने श्रोताओं का स्वागत किया और वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया. अर्थशास्त्र संकाय के सदस्य प्रो. देबाशीष आचार्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया. इस व्याख्यान को सुनने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र, शोधछात्र, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.