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आज के औपनिवेशिक युग के दौरान उपनिवेशवाद के प्रभाव से स्वतंत्र राष्ट्रों और समुदायों के बीच मातृभाषा की स्थिति व विरासतीय भाषाओं की धरोहर को मजबूत करने के उद्देश्य से FEL (फाउंडेशन फॉर एनडेंजर्ड लैंग्वेजस) ने बीसवाँ सम्मेलन आयोजित किया. इस सम्मेलन के दौरान भाषा उपयोग के दृष्टिकोणों के बदलावों, विशिष्ट भाषाओं और प्रदेशों के अनुसार भाषाओं से संबंधित निम्नलिखित समस्याओं पर प्रकाश डाला गया.

औपनिवेशिक काल में स्थानीय पारंपरिक भाषाएँ तथा अन्य भाषाओं का प्रयोग व्यापक बढ़ रहा है.
अर्थात्, अन्य भाषाएँ ही अभिव्यक्ति का माध्यम बन गई हैं.
जिससे आज स्वदेशी और मातृभाषाओं की स्थिति खतरे में पड़ गई है.

लुप्तप्राय भाषाएँ और मातृभाषा अध्ययन केंद्र (सीईएलएमटीएस) तथा इस FEL-XX सम्मेलन के अध्यक्ष एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. पंचानन मोहंती ने इस सम्मेलन में उपस्थित सभी प्रतिभागियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया. तदुपरांत फाउंडेशन फॉर एनडेंजर्ड लैंग्वेजस (ब्रिटेन) के अध्यक्ष प्रो. निकोलस ओस्टलर ने आयोजन समितियों का परिचय दिया साथ में सम्मेलन से संबंधित विषयों के बारे में चर्चा भी की. इसके बाद सीआईआईएल के श्री. सुजॉय सरकार ने स्कीम फॉर प्रोटेक्शन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ़ एनडेंजर्ड लैंग्वेजेज (SPPEL) सीआईआईएल द्वारा भारतीय भाषाओं के संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों का ब्यौरा दिया. हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अप्पा राव पोदिले ने सम्मेलन की कार्यवाही आरंभ करते हुए कि जैव-विविधता और पीढ़ियों के अंतराल में भाषा के मूल शब्द लुप्त हो रहे हैं.

इस FEL-XX सम्मेलन में अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया जैसे देशों के कई प्रसिद्ध विद्वानों ने भाग लिया.