हैदराबाद विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद के नायर ने वर्ष 2018 के लिए मानविकी, कला और सामाजिक विज्ञान की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ शोध के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार जीता है.

2 मई, 2018 को राष्ट्रपति भवन में संपन्न हुई केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक के दौरान आयोजित एक शानदार समारोह में भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री. राम नाथ कोविंद ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया. वर्ष 2015 में स्थापित यह प्रतिष्ठित पुरस्कार है.वि.वि. के किसी शिक्षक ने पहली बार प्राप्त किया है. इस पुरस्कार के अधीन प्रशस्ति-पत्र साथ एक लाख रुपये की राशि दी जाती है. प्रोफेसर नायर को, उनके द्वारा किए गए शोध और प्रकाशनों के लिए, विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र, जैसे – वंचित के पक्ष में कविताएँ, संस्मरण और कथा-साहित्य, भोपाल गैस त्रासदी और अन्य एपिसोड के लिए सम्मानित किया जा रहा है.

हर वर्ष केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सेवारत वैज्ञानिकों और शिक्षकों द्वारा किए गए उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार दिए जाते हैं. प्रत्येक श्रेणी में विजेताओं के चयन के लिए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं. राष्ट्रपति के सचिव श्री. संजय कोठारी की अध्यक्षता में गठित की गई एक चयन समिति और प्रतिष्ठित व्यक्तियों और शिक्षाविदों सहित उप-समिति द्वारा प्राप्त होने वाली सहायता से पुरस्कार के विजेताओं को चुना जाता है.

है.वि.वि. के कुलपति प्रोफेसर अपाराव पोदिले ने इस उपलब्धि पर अत्यधिक प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि “मैं ज्यूरी द्वारा दिए गए सम्मान के लिए प्रोफेसर प्रमोद के. नायर को बधाई देता हूं. हम उनके उत्कृष्ट योगदान पर गर्व महसूस करते है. प्रोफेसर प्रमोद न केवल हमारे शिक्षक है (और वर्तमान में अध्यक्ष हैं) बल्कि हमारे पूर्व-छात्र भी हैं. प्रोफेसर प्रमोद को मिली यह मान्यता मानविकी, कला और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में हमारी शोध शक्ति को प्रमाणित करती है. हम आशा करते हैं कि भविष्य में विश्वविद्यालय, शिक्षकों, छात्रों, पूर्व-छात्रों और कर्मचारियों को इस तरह के और सम्मान मिलेंगे.”

पुरस्कृत शोध का विवरण
पिछले 6-10 वर्षों से प्रो. प्रमोद ‘मानव अधिकार और साहित्यिक-सांस्कृतिक अध्ययन’ के क्षेत्रों में शोधरत हैं. आधुनिक भाषा संघ, कला और मानविकी उद्धरण सूचकांक द्वारा अनुक्रमित और मानविकी के लिए अन्य शीर्ष सूचकांकों के विविध प्रकाशनों की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित होते रहते हैं. इनमें वैश्विक प्रकाशकों की चार पुस्तकें शामिल हैं.

Pramod Nayar 1

वे अनिश्चितता और अनिश्चित जीवन पर काम करते हैं. वे भारत और विश्व के परिप्रेक्ष्य में साहित्यिक और सांस्कृतिक ग्रंथों में – जिसमें संस्मरण, फिल्म, कथा, कविता, ग्राफिक उपन्यास, प्रत्यसाक्षी वर्णन और अन्य दस्तावेज भी शामिल हैं – जीवन की अनिश्चितता को समझने की चेष्टा करते हैं. इसलिए उनके शोध को मानव अधिकारों के सांस्कृतिक ग्रंथों के अन्वेषण के रूप में वर्णित किया जा सकता है. इनमें यातना, हिंसा, युद्ध, जाति व्यवस्था और/या प्रजातिवाद या भोपाल जैसी औद्योगिक आपदाओं से पीड़ित व्यक्ति शामिल हैं. इन्होंने अन्य शैलियों और मीडिया के साथ-साथ दलित लेखन, यातना फिल्मों, भोपाल त्रासदी, मानवाधिकारों से संबंधित कथा साहित्य का भी अध्ययन किया है. अनिश्चित जीवन के निर्माण में जैविक विज्ञान जैसे आनुवांशिकी की भूमिका, परस्पर संबंध और अन्य स्थितियों की भी जाँच की गई है.

इस परियोजना के मुख्य चुनौती थी – आघात, सामाजिक अन्याय, शोषण, चरम हिंसा और मानवाधिकार के उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करने वाले कथा और शिल्प के कई आयामों को लेखनीबद्ध करना. इसे मौटे तौर पर ‘मानव अधिकारों की भाषा’ की खोज कहा जा सकता है.

मानवाधिकार और साहित्यिक-सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र की उनकी पुस्तकों में शामिल हैं:
(i) Writing Wrongs: The Cultural Construction of Human Rights in India (Routledge 2012)
(ii) The Extreme in Contemporary Culture: States of Vulnerability (Rowman and Littlefield 2017)
(iii) Human Rights and Literature: Writing Rights (Palgrave Macmillan 2016)
(iv) Bhopal’s Ecological Gothic: Disaster, Precarity and the Biopolitical Uncanny (Lexington – Rowman and Littlefield, 2017)

ये किताबें संबंधित क्षेत्र के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा अनुमोदित हैं और विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में प्राथमिक रूप से पढ़ाई जा रही हैं तथा पाठ्य-विवरण के रूप में भी स्वीकार की गई हैं.

इन पुस्तकों के अलावा, अनुसंधान का अधिकतर कार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित निबंधों में परिलक्षित होता है. उनका कार्य (केवल पिछले 6 वर्षों में) इस तरह है: इमेज एंड टेक्स्ट और जीवनी: जीवनी का अध्ययन (दो बार), जीवनी, ऑर्बिस लिटरारम, उत्तर औपनिवेशिक लेखन पत्रिका (दो बार), सेलिब्रिटी स्टडीज, दक्षिण एशियाई अध्ययन ( दो बार), ए.एन.क्यू, एक्सप्लिकेटर (दो बार), रॉन्देवू, एशियाटिक, दक्षिण एशियाई फिल्म और माध्यम का अध्ययन, दक्षिण एशियाई डायस्पोरा इत्यादि.

इससे पहले, उनका कार्य इन विदेशी पत्रिकाओं में भी प्रकशित हुआ है: Prose Studies, Journal for Early Modern Cultural Studies, Postcolonial Text, Ariel, Kunapipi, Westerly, 1650-1850, Studies in Travel Writing, Nordic Journal of English Studies, Hungarian Journal of English and American Studies, Sri Lanka Journal of the Humanities, New Zealand Journal of Asian Studies, Brno Studies in English, The Grove, Commonwealth: Essays and Studies, Journal of Contemporary Thought, Changing English, Mediterranean Journal of the Humanities, Nebula (Twice).

academia.edu की प्रोफाइल्स में से, दुनिया भर के लगभग 3000 अनुयायियों वाले साहित्यिक-सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में शीर्ष 0.1% शोधकर्ताओं में प्रो. प्रमोद को प्रथम माना जाता है. प्रमोद नायर से निम्नांकित ई-मेल पते पर संपर्क किया जा सकता है: pramodknayar@gmail.com.

यूओएच हेराल्ड इस उपलब्धि पर प्रोफेसर प्रमोद नायर को हार्दिक शुभकामनाएँ ज्ञापित करता है.