हैदराबाद विश्वविद्यालय में 3 फरवरी, 2015 को कुलपति प्रो. ई. हरिबाबू जी की अध्यक्षता में आयोजित एक सेमिनार में सेंटर लीड फॉर क्लीनिकल फार्माकोलॉजी / विलियम हार्वे रिसर्च इंस्टीट्यूट (WHRI), यूनाइटेड किंगडम (यूके) के सह-निदेशक प्रो. मार्क कॉल्फील्ड ने ‘The 100,000 whole genome sequencing project’ विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया.
100,000 जीनोम परियोजना के बारे में प्रो. मार्क कॉल्फील्ड ने बताया कि यह परियोजना केवल एक अनुसंधान परियोजना ही नहीं है बल्कि मरीजों की देखभाल के लिए गत चार वर्षों से ब्रिटेन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के द्वारा अपनाया जा रहा एक नया तरीका है. यह परियोजना अपनी तरह पहला और अनोखा कार्यक्रम है. इस परियोजना के तहत कैंसर जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों और उनके परिवारिक सदस्यों पर ध्यान दिया जा रहा है. यह परियोजना अभी प्रायोगिक चरण में है और आगे अगले चरणों में इसके विकास की उम्मीद है.
छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों से खचाखच भरे जीव विज्ञान संकाय के सभागार में उपस्थित दर्शकों को सम्बोधित करते हुए मार्क कॉल्फील्ड ने उच्च रक्तचाप और कैंसर के रोगियों पर उनकी टीम द्वारा किए गए अनुसंधान के आँकड़ों का ब्यौरा दिया और उन्होंने उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को उनकी टीम के सदस्य द्वारा नित्य 250 मिलीलीटर चुकंदर रस के सेवन से उसका रक्तचाप कम कर दिखाने का किस्सा भी सुनाया. आगे उन्होंने बताया है कि जीनोमिक्स द्वारा भविष्य में स्वास्थ्य सेवा में काफी सुधार आ सकता है. भविष्य में व्यक्तिगत रूप से बीमारियों के कारणों को जानकर बिना किसी अवांछित दुष्प्रभावों के जीनोमिक्स द्वारा बेहतर से बेहतर ढंग से इलाज किया जा सकता है. आगे उन्होंने कहा कि दुर्लभ बीमारियों एवं संक्रामक रोगों को जीनोमिक्स की सहायता से और बारिकी से समझकर उत्तम से उत्तम उपचार किया जा सकता है.
मार्क कॉल्फील्ड ने लंदन अस्पताल के मेडिकल कॉलेज से 1984 में चिकित्सा में स्नातक की उपाधि पाई और सेंट Bartholomew’s अस्पताल में औषधीय चिकित्सा में प्रशिक्षण पाया. वहीं उन्होंने उच्च रक्तचाप और नैदानिक अनुसंधान के मॉलिक्यूलर आनुवंशिकी में एक अनुसंधान कार्यक्रम भी विकसित किया. वर्ष 2009 में उन्हें ब्रिटिश औषध विज्ञान सोसायटी के लिली पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वर्ष 2008 से वे बार्ट्स नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च कार्डियोवैस्कुलर बायोमेडिकल रिसर्च यूनिट का निर्देशन कर रहे हैं.
आप वर्ष 2002 में विलियम हार्वे अनुसंधान संस्थान के निदेशक के रूप में नियुक्त किए गए. वर्ष 2008 में चिकित्सा विज्ञान अकादमी के लिए चुने गए और वर्ष 2009-2011 के दौरान ब्रिटिश हाईपरटेंशन सोसायटी के अध्यक्ष थे. विलियम हार्वे हार्ट सेंटर में नैदानिक अनुसंधान और शोधों के लिए आप 25 मिलियन पाउंड की धनराशि जुटाने में सफल रहे. आपने नाएस गाइडलाइन ग्रुप फॉर हाइपरटेंशन, जॉइंट ब्रिटेन सोसायटी वर्किंग ग्रुप तथा कन्सेंसस ओन रीनल डेनेर्वेशन के लिए भी कार्य किया.
लाइफ साइंसेज़ संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. पी. रेड्डन्ना ने वक्ता का परिचय दिया जबकि पशु जीवविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. बी. सेंथिलकुमारन ने धन्यवाद ज्ञापित किया.