4 फरवरी 2022 को हैदराबाद विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) की इकाई ने विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर एक अर्ध दिवसीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया. इस वर्ष  विश्व कैंसर दिवस का विषय “Close the care Gap” है,  जो 2008 में लिखी गई विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्यों का समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ द्वारा प्रस्तावित किया गया था. इस जागरूकता कार्यक्रम के अवसर पर, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीजे राव ने कैंसर कोशिकाओं की विषमांगता पर प्रकाश डाला जैसे कि कैंसर कोशिकाएं ‘डार्विन विकास  मॉडल तथा औषध प्रतिरोधकता विकास का पालन और पुनरावर्ती का समय कैसे होती हैं.

टाटा स्मारक अस्पताल द्वारा विशाखापत्तनम में स्थापित किम्स आईकान (KIMS ICON)  के मुख्य चिकित्सा ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ रघुनाधा राव ने दर्शकों को विभिन्न प्रकार के कैंसर की चिकित्सा  में विगत 1900 की शुरुआत से लेकर आर्सेनिक का उपयोग करते हुए व्यक्तिगत प्रतिरक्षा कोशिकाओं (CAR T-Cells) की आज की अवधारणा पद्धति के विकासक्रम से अवगत कराया. उन्होंने प्रवासी आबादी में किए गए अध्ययनों पर भी जोर दिया, जहां शाकाहारी से मांसाहारी जैसी आहार संबंधी आदतों का परिवर्तन से कैंसर का खतरा अधिक होता है.

डॉ. कुमार सोमसुंदरम, भारतीय विज्ञान संस्थान,  बैंगलोर, जाने-माने प्रायोगिक कैंसर जीवविज्ञानी हैं, जिन्होंने ग्लियोब्लास्टोमा में नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण के प्रति अपनी कुछ नवीन प्रयोगात्मक निष्कर्षों को साझा किया, जो एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर का विकास में मदद कर रहा है. फोडा। उन्होंने यह भी बताया कि नई दवाओं और उपचार रणनीतियों के विकास में इस शोध की निष्कर्षों का उपयोग कैसे किया जा सकता है.

डॉ. ए. बिंदु माधव रेड्डी, एनएसएस के समन्वयक और हैदराबाद विश्वविद्यालय में कैंसर जीवविज्ञानी प्रो. ब्रम्हानंदम मनावती ने समुदाय में कैंसर के बारे में जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डाला ताकि कैंसर संबंधी ज्ञान और चिकित्सीय विकल्पों की प्रगति की जानकारी हासिल किया जा सके तथा उत्तरजीवी और कैंसर मुक्त दुनिया का हिस्सा बनें.