योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है. यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित कर विचार, संयम और पूर्णता प्रदान करता है. यह स्वास्थ्य और सामाजिक भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून 2015) के शुभावसर में हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर के समुदाय ने भी हर्ष-उल्लास के साथ भाग लिया.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. शर्मा ने इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि योग समस्त विश्व को भारत के द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार है. यह प्राचीन विद्या भारत में अनादि काल से चली आ रही है. इसमें मानव जाति का कल्याण निहित है. हैदराबाद विश्वविद्यालय शारीरिक शिक्षा केन्द्र के पूर्व निदेशक डॉ. वीवीबीएन राव ने इस अवसर पर योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया. आगे उन्होंने बताया कि यह केवल शारीरिक व्यायाम ही नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ सद्भाव स्थापित करने का एक साधन है. इस अवसर पर 5 से 10 साल की उम्र के बच्चों से लेकर 70 से अधिक वर्षों के वरिष्ठ नागरिकों ने अपने-अपने आयु वर्ग के लिए आवश्यक योग मुद्राओं का प्रदर्शन प्रस्तुत किया. प्रतिभागियों द्वारा कई मुश्किल आसनों को भी प्रस्तुत किया गया. यह आसानी से व्यक्त होता है कि योग के नियमित अभ्यास के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा का किस प्रकार समन्वय किया जा सकता है.
योग प्रशिक्षक श्री. रामकृष्ण ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए. इस कार्यक्रम के अंत में योग के सामान्य और विशिष्ट आसनों के साथ-साथ प्राणायाम के विभिन्न मुद्राओं को भी दर्शाया गया.
इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह को हैदराबाद विश्वविद्यालय शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग द्वारा समन्वित किया गया था. इस कार्यक्रम में प्रो. पी. प्रकाश बाबू, डीन छात्र कल्याण और खेल केंद्र के सहायक निदेशक डॉ. के.वी. राजशेखर भी शामिल थे.