हैदराबाद विश्वविद्यालय ने 72वाँ गणतंत्र दिवस मनाया तथा इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रो. अप्पा राव पोदिले जी ने विश्वविद्यालय के परिसर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया.

प्रो. पोदिले जी ने हमें आज़ादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को और संविधान के निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो हमें धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राष्ट्र के रूप में कार्य करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है.

“हमारे देश के लिए गर्व की बात है कि कोविड-19 महामारी प्रकोप के दौरान बहुत कम समय में एक वर्ष के भीतर हमने कोविड-19 टीके का उत्पादन न केवल हमारे देश के लिए बल्कि दूसरे देशों के लिए भी किया है. हमने खाद्यान्न, दाल, दूध आदि के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है. ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था/समाज के रूप में हम हमारी कई उपलब्धियों पर भी गर्व कर सकते हैं.” कुलपति महोदय ने कहा.

पिछले वर्ष के दौरान है.वि.वि. की उपलब्धियों का स्मरण करते हुए प्रो. पोदिले जी ने कहा कि, ‘अटल रैंकिंग ऑफ इनस्टिट्यूशन ऑन इन्नोवेशन एचीवमेंट्स (ARIIA)-2020’ में देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय महत्व संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों की श्रेणी में केवल हमारे विश्वविद्यालय को ही 10वाँ स्थान मिला है. ग्लोबल आरयूआर रैंकिंग-2020 में भी विश्वविद्यालय का प्रदर्शन शानदार रहा है. इस रैंक को प्राप्त करनेवाले देश के 13 संस्थानों में से, है.वि.वि. एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसे, आईआईएससी, आईआईटी और आईआईएसईआर-पुणे के बाद 7वाँ शीर्ष स्थान दिया गया है तथा यह पूरे विश्व के 829 संस्थानों में से 363वें स्थान पर है. आर.यू.आर. ने हमारे विश्वविद्यालय की मानविकी को भारत में प्रथम स्थान और विश्व स्तर पर 276वाँ स्थान तथा सामाजिक विज्ञान के लिए भारत में चौथा स्थान और विश्व में 327वाँ स्थान दिया है.

प्रो. अप्पा राव पोदिले जी ने अपने भाषण के समापन में 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को हार्दिक बधाई दी और राष्ट्रीय नेताओं को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने हमें यह स्वतंत्रता दिलाई और देश के लिए इस तरह के शक्तिशाली संविधान का निर्माण किया.

 

कुलपति महोदय का संपूर्ण संबोधन नीचे पढ़ा जा सकता है.

72वाँ गणतंत्र दिवस – कुलपति महोदय का संबोधन

प्रिय शिक्षकजन, अधिकारी, कर्मचारीवर्ग, छात्रगण, बच्चो और आमंत्रित अतिथि: 72वें गणतंत्र दिवस को मनाने के लिए एकत्रित सभी का अभिनंदन.

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें आज़ादी का उपहार दिया और साथ ही, ऐसे संविधान का निर्माण किया जो हमें धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र के रूप में कार्य करने में मार्गदर्शन करता है. हम विश्व के सम्माननीय देशों में से एक हैं. आइए हम उन सबका स्मरण करते हैं, जिन्होंने ये त्याग किए और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. स्वाधीनता और संविधान ने हमें अपने अधिकारों के साथ बहुत बड़ा दायित्व भी सौंपा है.

कोविड-19 महामारी के प्रकोप के एक वर्ष के भीतर ही एक देश के रूप में हमने इसका टीका बना लिया है, न केवल अपने लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी. हमने खाद्यान्न, दालें और दूध आदि के उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता प्राप्त की है. एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था/समाज के रूप में हम कई उपलब्धियों पर गर्व कर सकते हैं.

हम ‘मिनी भारत’ हैं, जहाँ देश के कोने-कोने से छात्र, शिक्षक और कर्मचारी आते हैं. पिछले पाँच दशकों से भी कम समय में हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त उपलब्धियाँ भी महत्वपूर्ण हैं. हमारे बेहतरीन पूर्व-छात्र, शिक्षक और कर्मचारी वर्ग ने विश्वविद्यालय के सम्मान को बढ़ाया है.

जिम्मेदारी लेने से ही जिम्मेदारी बढ़ती है. तथापि, आने वाले वर्षों में देश की आकाक्षाओं पर खरा उतरने की जिम्मेदारी हम सब पर है. हम सार्वजनिक संस्थान की श्रेणी में सबसे युवा एवं सबसे छोटा संस्थान हैं. एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में हमें देश के ज्ञान-आधारित समाज का का पथ प्रदर्शक बनना है. इस गणतंत्र दिवस पर हम प्रण लें कि हम ‘राष्ट्रीय अभिमान’ के साथ काम करें. यह राष्ट्राभिमान हमें राष्ट्रीय मूल्यों को निर्धारित, समाहित और कार्यान्वित करने में अत्यावश्यक है, जिससे एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण संभव हो.

निरंतर उच्च एनआईआरएफ रैंकिंग और वर्षों के उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर हमारे मेधावी पीएच.डी. छात्रों का प्रधानमंत्री शोध फेलोशिप के लिए चयन हुआ है.

अटल रैंकिंग ऑफ इनस्टिट्यूशन ऑन इन्नोवेशन एचीवमेंट्स-2020 में देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों की श्रेणी में केवल हमारे विश्वविद्यालय को ही 10वाँ स्थान मिला है. ग्लोबल आरयूआर रैंकिंग-2020 में भी विश्वविद्यालय का प्रदर्शन शानदार रहा है. यह रैंक प्राप्त देश के 13 संस्थानों में से, है.वि.वि. एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसे आईआईएससी, आईआईटी और आईआईएसईआर-पुणे के बाद 7वाँ शीर्ष स्थान दिया गया है तथा यह पूरे विश्व के 829 संस्थानों में से 363वें स्थान पर है. आर.यू.आर. ने हमारे विश्वविद्यालय की मानविकी को भारत में प्रथम स्थान और विश्व स्तर पर 276वाँ स्थान तथा सामाजिक विज्ञान के लिए भारत में चौथा स्थान और विश्व में 327वाँ स्थान दिया है.

क्यूएस द्वारा एशिया रैंकिंग्स 2021 में विश्वविद्यालय अब शीर्ष संस्थानों में से एक है. एशिया में रैंक प्राप्त 650 उच्च शिक्षा संस्थानों में हमें 142वाँ स्थान मिला है तथा भारत में 11वें स्थान पर हैं. यह निश्चि है, कि हमें इन रैंकिंग्स को और बेहतर बनाना है. हम सबको शोध और शैक्षिक गतिविधियों में अधिक प्रयास करने होंगे.

सिज़ेरियन शल्यक्रिया के उचित उपयोग पर प्रतिष्ठित बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन रिसर्च ग्रांट के प्रमुख शोधकर्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लैंकेशायर के प्रो. सू डाउन ने हमारे चिकित्सा विज्ञान संकाय और फर्नांडिज फाउंडेशन को साझेदार संस्थान के रूप में चुना है. इस वैश्विक पहल में है.वि.वि. डब्ल्यू.एच.ओ.-जिनिवा के साथ है और साथ ही ब्राज़ील और कनाडा जैसे देशों के साथ एक नवीन परियोजना Re-JUDGE से भी जुड़ा है.

हमें यह याद रखना है कि गुणवत्ता का कोई विकल्प नहीं. विश्वविद्यालय ने अकादमिक अखंडता के बारे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा हाल ही में जारी किए गए आदेश के देखते हुए आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन कक्ष (IQAC) को अधिक मजबूत बनाया है. इससे पदोन्नति एवं नियुक्ति के समय उम्मीदवारों के प्रकाशनों की संख्या की अपेक्षा उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा सके. वर्ष 2021 में एनएएसी की पुन:प्रत्यायन की रिपोर्ट तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अलग से गठित टास्क फोर्स और आईक्यूएसी काम कर रहे हैं.

प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में हमने कुछ योजनाएँ आरंभ की हैं, और कुछ निकट भविष्य में शुरू होंगी. प्रतिष्ठित संस्थान हमारे लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है और हमारे छात्रो के लिए शोध और शिक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने का एक माध्यम भी है. प्रतिष्ठित संस्थान यह सुनिश्चित करेगा कि हमारे छात्र विश्वस्तरीय हों और रोजगार के क्षेत्र में उनकी भारी पूछ हो. शोध अनुदान के लिए आरंभ योजनाओं की तर्ज पर शिक्षण और आउटरीच कार्यक्रम, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, अंतर्राष्ट्रीयकरण, प्रशासनिक अधिकारी योजना और छात्र प्रोत्साहन संबंधी योजनाएँ भी लागू की जाएँगी.

महामारी और पूर्णबंदी के बावजूद वर्ष 2019-20 में प्लेसमेंट्स की स्थिति संतोषजनक रही. प्लेसमेंट मार्गदर्शक सलाहकार ब्यूरो की टीम ने 129 कंपनियों के साथ समन्वय कर 347 छात्रों के प्लेसमेंट को सुनिश्चित किया. सबसे अधिक पैकेज प्रतिवर्ष 43 लाख का रहा. वर्ष 2020-21 के लिए 100 छात्रों का प्लेसमेंट हो चुका है. कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियों में चिकित्सा विज्ञान संकाय के 2016, 2017 और 2018 के बैच के एमपीएच के छात्रों को विविध राज्यों के जिला महामारीविद् के रूप में नौकरी मिली. यह विश्वविद्यालय और छात्रों के लिए गौरव की बात है कि हम समाज के किसी काम आ सके.

टास्क फोर्स की संस्तुतियों के मद्देनज़र हमने 148 अंतिम सत्र के विज्ञान और एसएन स्कूल के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के छात्रों को परिसर में कक्षाओं में उपस्थित रहने के लिए वापस बुलाया है, ताकि वे पिछले सत्र के अपने अधूरे प्रयोगशाला/अभ्यास कार्य को पूरा कर सकें. इसमें अंतिम सत्र के लिए लंबित रखा गया काम भी शामिल है. और छात्रों को भी धीरे-धीरे विश्वविद्यालय परिसर में वापस बुलाने के प्रयास जारी हैं, पर इस बात का भी खयाल रखा जा रहा है कि हमारा परिसर कोविड-19 से सुरक्षित रहे.

16 नवंबर, 2020 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री. एम. वेंकय्या नायड़ू ने हमारे विश्वविद्यालय के विश्वस्तरीय विवेकानंद छात्र सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया. 3,260 वर्ग मीटर में फैले इस भवन में प्रयोक्ता-सुलभ सुविधाएँ हैं – जैसे डीन, छात्र कल्याण, मुख्य वॉर्डन और मुख्य कुलानुशासन का कार्यालय, आदि. साथ ही, यहाँ पर एक रंगभूमि और बहु-व्यंजन फूड कोर्ट भी है. यहाँ छात्रों के एक-दूसरे से मिलने जुलने और बातचीत करने का एक मंच मिलेगा.

160 करोड़ की लागत से बन रहे 13 भवन निर्माण की अलग-अलग स्थिति में हैं. इनमें से कुछ एक वर्ष में बन जाएँगे और सभी भवन दिसंबर 2022 तक तैयार हो जाएँगे. इसके अलावा, प्रतिष्ठित संस्थान के तहत हम 550 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ नए भवनों का निर्माण और उपकरणों की खरीद करेंगे. 700 करोड़ रुपये की लागत के साथ 2-3 वर्षों के समय में विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना का निर्माण न इससे पहले कभी हुआ है और न कभी आगे होगा. न भूतो न भविष्यति.

हमारे पूर्व-छात्रों की संख्या लगभग 30,000 है, जिनमें से कई दुनिया के अलग-अलग संस्थानों में विभिन्न पदों पर स्थापित हैं. इनमें से कुछ उद्यमी हैं, जैसे – ज़ेन टेक्नोलॉजीस, केएन बायोसाइंस आदि. वे भी अपनी प्रगति के लिए अपने मातृसंस्थान के प्रति कृतज्ञता और गर्व का भाव रखते हैं. यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि जब भी हमारे शिक्षक या अधिकारी देश-विदेश के दौरे पर होते हैं, तो ये छात्र समय निकालकर उनसे मिलने आते हैं. हम चाहते हैं कि हमारे पूर्व-छात्र विश्वविद्यालय की प्रगति और प्रतिष्ठा के प्रति अधिक योगदान दें. हाल ही में, सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान हमारे एक पूर्व छात्र श्री. मनोज अब्राहम, आईपीएस, अतिरिक्त डीजीपी – केरल पुलिस का एक ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया था, जिसे बहुत पसंद किया गया. एक और पूर्व छात्र श्री. अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि ने भी विश्वविद्यालय समुदाय को संबोधित किया. हमारी योजना है कि पूर्व-छात्रों के साथ इस तरह के कार्यक्रमों के नियमित रूप से आयोजित किया जाए.

मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ललित कला विभाग के पूर्व-छात्र श्री. धीरज कुमार और श्री. मासूम असिक मोल्ला ने एक शिला पर है.वि.वि. का प्रतीक चिह्न बनाया है, जो लिंगमपल्ली-गच्चीबावली मुख्य मार्ग पर आने-जाने वाले लोगों को और विश्वविद्यालय में प्रवेश करने वालों को दिखाई देगा. इससे हमारे मुख्य प्रवेश द्वार की सुंदरता में चार चाँद लग गए हैं. आइए, हम अपने पूर्व-छात्रों के योगदानों का करतल ध्वनि से अभिनंदन करें.

हम जल्दी ही हमारे शोधकर्ताओं और शोध को प्रदर्शित करने के लिए एक पोर्टल Research@UoH आरंभ करेंगे. तीन प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों से शिक्षण, शोध और छात्र-विनिमय को लेकर बातचीत चल रही है.

शिक्षकों और छात्रों के बौद्धिक स्रोतों ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, तथापि शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दी गई अनुदान सहायता के भी हम आभारी हैं. हमें विविध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण संस्थानों से भी पर्याप्त निधियाँ मिलीं, जिसके लिए हम कृतज्ञ हैं. इस सहायता के सहारे यह 430 शिक्षकों और 5000 छात्रों का छोटा सा समूह आसमान छू सकता है. हम भारत का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय और विश्व के शीर्ष संस्थानों में से एक बन सकते हैं. इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का अभिनव प्रयोग करना होगा.

हमारे स्वच्छता विभाग द्वारा किए गए प्रशंसनीय कार्य का उल्लेख करना आवश्यक है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौर में अपने नियमित और आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ मिलकर बेहतरीन काम किया. इन विपरीत परिस्थितियों में कई कार्यालयों ने बहुत अच्छा काम किया है और हम आशा करते हैं कि टीके के आने के बाद हम जीवन में आगे बढ़ पाएँगे और जिंदगी पुरानी लीक पर लौट आएगी. मैं हमारे सभी छात्रों और शिक्षकों से निवेदन करता हूँ कि वे परिसर को कोविड-19 से मुक्त और सुरक्षित रखने के लिए सभी नियमों का पालन करें.

अंत में, मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि है.वि.वि. के हितों को सर्वोपरि रखते हुए अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करें. अपने हैदराबाद विश्वविद्यालय को न भूलें, जिसने आपकी क्षमताओं को सिद्ध करने के लिए एक मंच प्रदान किया.

मैं पुन: 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहाँ उपस्थित सभी का अभिनंदन करता हूँ. साथ ही, उन स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूँ जिन्होंने हमें स्वतंत्रता और संविधान का तोहफा दिया.

जय हिंद!