हैदराबाद विश्वविद्‌यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सैयद ई. हसनैन को भारत जर्मनी संबंधों में मजबूती लाने के लिए किए गए योगदान के लिए जर्मनी गणराज्य द्‌वारा ऑर्डर ऑफ मेरिट  के पुरस्कार से सम्मानित किया है. यह पुरस्कार 1951 में जर्मनी गणराज्य के तत्कालीन संघीय राष्ट्रपति थियोडोर हैउस के द्‌वारा स्थापित किया गया था. यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा करने वाले व्यक्ति को जर्मनी गणराज्य द्‌वारा दिया जानेवाला सर्वोच्च पुरसकार है.

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जर्मनी के राजदूत एच.ई. माइकल स्टीनर ने हाल ही में जर्मन दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. सैयद हसनैन को प्रतिष्ठित ‘Bundesverdienstkreuz’ से सम्मानित किया. प्रो. हसनैन क्षयरोग से संबंधित सूक्ष्मजीवों पर कार्यरत बहुप्रशंसित प्रसिद्‌ध वैज्ञानिक हैं. उन्होंने जर्मनी और भारत के बीच वैज्ञानिक सहयोग के लिए निरंतर परिश्रम किया और भारत में जर्मन रिसर्च फाउंडेशन के कार्यालय को स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने बर्लिन रॉबर्ट कॉख संस्थान और वुर्जबर्ग विश्वविद्‌यालयों में अपने प्रवास के दौरान सूक्ष्म जीव विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध किया था.

प्रो. हसनैन को लगभग सभी प्रमुख भारतीय विज्ञान पुरस्कार मिले हैं. उनमें कुछ इस प्रकार हैं — जी.डी. बिड़ला पुरस्कार, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, फिक्की अवार्ड, जे.सी. बोस नेशनल फेलो अवार्ड,  रैनबैक्सी अनुसंधान पुरस्कार, गोयल पुरस्कार, भसीन अवार्ड और कई अन्य. वे जर्मनी की लोपोलदिना राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सदस्य के रूप में चुने गए पहले भारतीय हैं. और ट्राइस्टे, इटली के Twas फैलो के रूप में निर्वाचित होने वाले सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक हैं. अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फाउंडेशन, जर्मनी द्‌वारा प्रतिष्ठित हम्बोल्ट अनुसंधान पुरस्कार से सम्मानित तथा रॉबर्ट कॉख संस्थान, बर्लिन के रॉबर्ट कॉख फैलोशिप द्‌वारा सम्मानित.

 प्रो. हसनैन अपने सराहनीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति द्‌वारा पद्‌मश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं.